चंपावत (उत्तराखंड)। हरे-भरे वनों से आच्छादित चंपावत वन प्रभाग की हरियाली को आग की भेंट चढ़ाने वाला पिरुल अब महिलाओं के लिए रोजगार का नया अवसर बनेगा। इस दिशा में डीएफओ नवीन चंद्र पंत ने महत्वपूर्ण पहल करते हुए एक निजी कंपनी मेंसर्स फ्यूचर बायो एनर्जी बरा के साथ 5 वर्षों का अनुबंध किया है।
पिरुल से जंगलों में लगती है आग, अब जंगलों का पिरुल बनेगा रोजगार का साधन
पिरुल (चीड़ की सूखी पत्तियां) जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण रहा है। अब यही पिरुल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल देने वाला और जंगलों का पिरुल बनेगा रोजगार का साधन बनेगा। इस एमओयू के तहत कंपनी 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले चीड़ के जंगलों से पिरुल खरीदेगी और इससे ब्रैकेट (ईंधन) बनाएगी।
समझौते में महिला सशक्तिकरण को मिली प्राथमिकता
यह अनुबंध खासतौर पर भिंगराड़ा रेंज और जिले की सात रेंजों में लागू होगा, जहां पिरुल की अधिकता है। डीएफओ पंत के प्रयास से पहले ही महिला समूहों ने ब्रैकेट बनाने शुरू किए थे, लेकिन बाज़ार नहीं मिलने से हताशा थी। अब यह समझौता स्थायी रोजगार का जरिया बनेगा।
कीमत बढ़ी तो बढ़ी उम्मीद
पहले राज्य सरकार ₹3 प्रति किलो की दर से पिरुल खरीद रही थी, जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बढ़ाकर ₹10 प्रति किलो कर दिया। इससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होने की उम्मीद जगी है।
पृथ्वी दिवस पर मिला तोहफा
इस समझौते की घोषणा पृथ्वी दिवस पर की गई, जो पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी बेहद प्रतीकात्मक है। मुख्य वन संरक्षक ने भी डीएफओ के नवाचार की प्रशंसा करते हुए पीठ थपथपाई है।
जनता का समर्थन
स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने इस पहल को वन संरक्षण और ग्रामीण विकास की दिशा में बड़ा कदम बताया है। डीएफओ श्री पंत की यह योजना पर्यावरण और रोजगार—दोनों क्षेत्रों में संतुलन स्थापित करने वाली साबित हो रही है।