परिचय: क्यों है आदि कैलाश विशेष?
आदि कैलाश, जिसे छोटा कैलाश भी कहा जाता है, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में स्थित भगवान शिव का पवित्र स्थान है। यदि आप जानना चाहते हैं “आदि कैलाश यात्रा कैसे करें?”, तो यह गाइड आपके लिए है — यहाँ आप पाएँगे रजिस्ट्रेशन से लेकर रूट, खर्च, और दर्शन तक की पूरी जानकारी।

आदि कैलाश यात्रा कैसे करें? (Step-by-Step गाइड)
1. आदि कैलाश यात्रा हेतु पंजीकरण कैसे करें?
कुमाऊँ मण्डल विकास निगम (KMVN) के माध्यम से – आदि कैलाश यात्रा मुख्य रूप से कुमाऊँ मण्डल विकास निगम (KMVN) द्वारा कारवाई जाती है जिसके लिए आप KMVN की वेबसाईट पर विज़िट करके अपनी आदि कैलाश की यात्रा के लिए पंजीकरण कर सकते हैं । यदि आप इस माध्यम से अपनी यात्रा करना चाहते और अधिक जानना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें
अपने वाहन से – आदि कैलाश यात्रा अपने वाहन से भी संभव है लेकिन आपके चार पहिया वाहन केवल धारचुला तक ही जा पाएंगे क्योंकि उसके बाद वहाँ की local टैक्सी की जाती हैं । लेकिन आपको यहाँ पहुचने से पहले अपना रजिस्ट्रेशन करना आवश्यक होता है । आदि कैलाश यात्रा हेतु रजिस्ट्रेशन कैसे करें ? इसकी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें ।
2. आदि कैलाश यात्रा का मुख्य रूट क्या है?
जैसा की आपको जानकारी है ही की आदि कैलाश उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले की चीन सीमा पर स्थित है इस आदि कैलाश और ॐ परिवर्तन की यात्रा का मुख्य पड़ाव है धारचुला । इसी जगह पर आपको अपनी आगे की यात्रा हेतु innerline pass बनवाना होता है आइए जानते हैं धारचुला पहुचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दो मार्गों के बारे में :-
काठगोदाम (हल्द्वानी) से होते हुए :- आदि कैलाश यात्रा हेतु पिथौरागढ़ पहुचने के लिए सबसे फेमस और प्राचीन मार्ग काठगोदाम हल्द्वानी से होते हुए नैनीताल, कैंची धाम, अल्मोड़ा मार्ग से होते हुए आप धारचुला पहुँच सकते हैं । काठगोदाम लगभग सभी प्रमुख शहरों से रेल के माध्यम से जुड़ा हुआ है । इस मार्ग में लगने वाला जाम इस रास्ते की सबसे बड़ी समस्या है क्योंकि आदि कैलाश यात्रा गर्मियों में होती है और इस रास्ते में नैनीताल और कैंची धाम जैसे धार्मिक पर्यटन एवं टुरिस्ट अट्रैक्शन हैं जिसकी वजह से इस मार्ग से आने में अधिक समय लग सकता है ।
भीमताल – अल्मोड़ा मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थलों की जानकारी के लिए क्लिक करें ।
टनकपुर (चम्पावत) से होते हुए :- माँ पूर्णागिरी की भूमि टनकपुर से होते हुए भी आदि कैलाश यात्रा के लिए पिथौरागढ़ के धारचुला पहुचा जा सकता है । टनकपुर भी रेल मार्ग से जुड़ा हुआ अंतिम स्टेशन है और इस मार्ग में भी आपको अत्यंत खूबसूरत दृश्य व मंदिर देखने को मिलेंगे जैसे टनकपुर में माँ पूर्णागिरी का मंदिर, चम्पावत में गोलू देवता और बालेश्वर मंदिर, लोहाघाट में रिशेश्वर मंदिर, गंगोलीहाट में हाट कालिका व बेरीनाग में पाताल भुवनेश्वर । इसी के साथ आप इस मार्ग में चौकोडी तथा मुनस्यारी जैसी खूबसूरत लोकैशन का भी आनंद ले सकते हैं ।
टनकपुर चंपावत मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थलों की जानकारी के लिए क्लिक करें ।
धारचुला से आदि कैलाश यात्रा पूरी होने तक हम क्या क्या देख सकते हैं ?
आदि कैलाश यात्रा के दौरान कई धार्मिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व वाले स्थल मिलते हैं। ये सभी स्थान यात्रा को न केवल पवित्र बनाते हैं, बल्कि अद्वितीय अनुभव भी प्रदान करते हैं।
📍 1. बूंदी
यात्रा की प्रारंभिक चरणों में पड़ने वाला छोटा मगर महत्वपूर्ण पड़ाव। यहां यात्रियों को भोजन, विश्राम और मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं।
📍 2. गूंजी
गूंजी वह स्थान है जहां से यात्रा का असली रोमांच शुरू होता है। यह गांव भारत-तिब्बत सीमा के पास है और यहां से परमिट जांच व सुरक्षा की औपचारिकताएं पूरी होती हैं।
📍 3. नाभीढाँग
नाभीढाँग से आपको ॐ पर्वत के दिव्य दर्शन होते हैं। यह स्थान समुद्र तल से लगभग 4000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
📍 4. कालापानी
यह वह स्थल है जहाँ काली नदी उद्गमित होती है। यह स्थल सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और भारत की सीमा सुरक्षा बल यहां तैनात रहती है।
📍 5. ॐ पर्वत
ॐ पर्वत पर बर्फ हमेशा “ॐ” के आकार में जमी रहती है, जो प्रकृति का अद्भुत चमत्कार है। इसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और दर्शन से मन को अपार शांति मिलती है।
📍 6. कुटी
यह पांडवों की माता ‘कुंती’ से जुड़ा गाँव है। माना जाता है कि कुंती यहाँ कुछ समय रही थीं। यहां ग्रामीण जीवन और स्थानीय संस्कृति की झलक मिलती है।
📍 7. आदि कैलाश
इसे छोटा कैलाश भी कहा जाता है। भगवान शिव का यह पवित्र धाम हिमालय की गोद में स्थित है। यहाँ का वातावरण एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है।
📍 8. गौरी कुंड
आदि कैलाश के नीचे स्थित गौरी कुंड माता पार्वती को समर्पित जल कुंड है, जो अत्यंत शीतल और पवित्र माना जाता है।
📍 9. पार्वती सरोवर
यह एक छोटा सरोवर है जिसे स्थानीय लोग मानसरोवर भी कहते हैं। इसके किनारे भगवान शिव और माता पार्वती का मंदिर स्थित है।
यदि आप इन स्थानों के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें ।
आदि कैलाश यात्रा के लिए ज़रूरी सावधानियाँ
आदि कैलाश यात्रा एक पवित्र, लेकिन शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण यात्रा है। इसलिए यात्रियों को पूरी तैयारी के साथ-साथ कुछ ज़रूरी सावधानियाँ (Precautions) भी ध्यान में रखनी चाहिए। ये सावधानियाँ आपकी यात्रा को सुरक्षित, सुखद और स्मरणीय बनाने में मदद करेंगी।
1. ऊँचाई से जुड़ी समस्याएँ (High Altitude Sickness)
- आदि कैलाश क्षेत्र समुद्र तल से 12,000 फीट से अधिक ऊँचाई पर है।
- ऑक्सीजन की मात्रा कम होने के कारण सिरदर्द, चक्कर, थकान, उल्टी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
- यात्रा से पहले खुद को acclimatize करना जरूरी है।
- डॉक्टर की सलाह से Diamox जैसी दवाइयाँ ले सकते हैं।
2. जरूरी दवाइयाँ और मेडिकल किट
- बुखार, पेट दर्द, उल्टी, गैस, ठंड आदि की दवाइयाँ ज़रूर रखें।
- एक फर्स्ट-एड बॉक्स हमेशा साथ रखें जिसमें antiseptic, bandage, pain relief spray आदि हों।
- यदि कोई पुरानी बीमारी है, तो डॉक्टर से लिखित परमिशन लेकर ही यात्रा करें।
3. कपड़ों और उपकरणों की तैयारी
- ऊनी कपड़े, दस्ताने, टोपी, ऊँचे जूते, रेनकोट, सनग्लास, सनस्क्रीन, और मफलर जरूर रखें।
- मौसम कभी भी बदल सकता है, इसलिए waterproof jacket ज़रूर साथ रखें।
4. शारीरिक तैयारी
- यात्रा से कम से कम एक महीना पहले से वॉकिंग, सीढ़ियाँ चढ़ना, योग और प्राणायाम शुरू करें।
- 5-10 किलोमीटर पैदल चलने की क्षमता विकसित करें क्योंकि ट्रेकिंग कठिन होती है।
5. नेटवर्क की समस्या
- अधिकतर क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता।
- गूंजी और कुटी जैसे गाँवों में सीमित BSNL नेटवर्क मिल सकता है।
- परिवार को पहले से सूचित कर दें कि संपर्क में कमी रहेगी।
6. दस्तावेज़ों की सुरक्षा
- आधार कार्ड, पैन कार्ड, मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट, परमिट, पंजीकरण दस्तावेज़ आदि को प्लास्टिक फोल्डर में रखें।
- डॉक्युमेंट्स की स्कैन कॉपी भी मोबाइल और क्लाउड पर सेव रखें।
7. पर्यावरण की रक्षा
- प्लास्टिक बोतलें, थैलियाँ, चिप्स के पैकेट आदि न फेंकें।
- प्राकृतिक सौंदर्य और पवित्रता को बनाए रखने में अपना योगदान दें।
8. धार्मिक मर्यादा और आचरण
- यह यात्रा एक धार्मिक यात्रा है, इसलिए शांति और संयम बनाए रखें।
- किसी भी प्रकार की नशा, तेज़ आवाज़ में संगीत या अशोभनीय व्यवहार से बचें।
9. वाहन और ट्रैवल एजेंसी की सावधानी
- यदि आप किसी एजेंसी या KMVN से यात्रा कर रहे हैं, तो उनकी वैधता की जाँच करें।
- वाहन पहाड़ी मार्ग के लिए उपयुक्त हो, और उसमें फर्स्ट-एड, स्पेयर टायर, और आवश्यक उपकरण उपलब्ध हों।
10. मानसिक और आध्यात्मिक तैयारी
- इस यात्रा का उद्देश्य केवल घूमना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव भी है।
- रास्ते में आने वाले प्राकृतिक चमत्कारों और धार्मिक स्थलों का श्रद्धा और ध्यान से अनुभव करें।
आदि कैलाश यात्रा से संबंधित और किसी भी जानकारी के लिए आप नीचे comment कर सकते हैं या आप पहाड़ की आवाज पर मेल भी कर सकते हैं ।