
रामनगर।
उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के साथ ही रामनगर में एनएच-309 पर स्थित धनगढ़ी और पनोद नाले फिर एक बार ‘डेथ प्वाइंट’ साबित होने वाले हैं। कारण है—वो पुल, जिसका निर्माण साल 2020 में शुरू हुआ था, लेकिन आज पांच साल बाद भी अधूरा है।
इस राष्ट्रीय राजमार्ग से रोजाना हजारों लोग गुजरते हैं—जिनमें स्कूली बच्चे, मरीज, पर्यटक और ग्रामीण शामिल हैं। लेकिन बरसात में यही रास्ता मौत के कुएं जैसा बन जाता है। अब तक इन नालों में 12 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
2020 में केंद्र सरकार ने 14 करोड़ की योजना मंज़ूर की थी, जिसके तहत धनगढ़ी पर 150 मीटर और पनोद पर 90 मीटर लंबे पुल बनने थे। लेकिन बीच में हाथी कॉरिडोर के चलते वन विभाग ने निर्माण पर रोक लगा दी। मई 2024 में संशोधित डिजाइन को मंज़ूरी मिलने के बाद दोबारा कार्य शुरू हुआ, लेकिन जिलाधिकारी वंदना सिंह के अनुसार मौजूदा मानसून सीजन में पुल का काम पूरा नहीं हो पाएगा।
पुल निर्माण की देरी ने स्थानीय जनता को खफा कर दिया है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर इतने वर्षों में पुल क्यों नहीं बन सका, और अब भी बारिश में अपनी जान जोखिम में डालकर क्यों सफर करना पड़ रहा है?
प्रशासन का कहना है कि निर्माण कार्य युद्धस्तर पर जारी है और सभी विभागों को अलर्ट पर रखा गया है, ताकि बारिश के समय समय पर राहत पहुंचाई जा सके।
यह मसला केवल एक पुल का नहीं, बल्कि शासन और प्रशासन की प्राथमिकताओं और जवाबदेही पर बड़ा सवाल है। जब “विकास” सिर्फ कागजों में होता है, तो जनता के लिए सड़क भी संघर्ष बन जाती है।