रुद्रप्रयाग को मिला सबसे युवा डीएम, प्रतीक जैन ने चार्ज लेते ही पैदल नापे 24 किमी, केदारनाथ यात्रा पर जताई विशेष रुचि

रुद्रप्रयाग।
उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र रुद्रप्रयाग जिला अब सबसे युवा जिलाधिकारी के नेतृत्व में आगे बढ़ेगा। 2018 बैच के आईएएस अधिकारी प्रतीक जैन ने मंगलवार को डीएम के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया। 32 वर्षीय प्रतीक जैन रुद्रप्रयाग जिले के सबसे कम उम्र के जिलाधिकारी हैं। उन्होंने कार्यभार संभालते ही अपने काम के प्रति गंभीरता और जमीनी जुड़ाव का परिचय दिया।

डीएम बनते ही निकल पड़े केदारनाथ पैदल मार्ग पर निरीक्षण को

प्रतीक जैन ने चार्ज लेने के कुछ ही घंटों के भीतर चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं का जायजा लेने का निर्णय लिया और 24 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर सोनप्रयाग से केदारनाथ तक का सफर तय किया। इस दौरान उन्होंने तीर्थयात्रियों से सीधे बातचीत की और रास्ते में पड़ने वाले विश्राम स्थलों, चिकित्सा सहायता केंद्रों और सफाई व्यवस्थाओं को खुद परखा।

उन्होंने जहां भी यात्रियों ने कमियों की ओर इशारा किया, वहां तत्काल सुधार के निर्देश संबंधित विभागों को दिए। डीएम ने एसडीआरएफ कार्यालय का निरीक्षण किया और भूस्खलन संभावित स्थलों पर हमेशा जेसीबी और आवश्यक मशीनें तैनात रखने के निर्देश भी जारी किए।

केदारनाथ धाम में बाबा के दर्शन और तीर्थ पुरोहितों से संवाद

केदारनाथ धाम पहुंचने के बाद प्रतीक जैन ने बाबा केदार के दर्शन किए और मंदिर में तैनात तीर्थ पुरोहितों से व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा की। उन्होंने चिकित्सा सुविधाओं की भी समीक्षा की और स्थानीय अधिकारियों से यात्रा सुचारु बनाए रखने की रणनीति पर बातचीत की।

कौन हैं प्रतीक जैन?

राजस्थान के अजमेर में जन्मे प्रतीक जैन ने 2018 में यूपीएससी परीक्षा पास कर आईएएस सेवा में प्रवेश किया। इससे पहले वह हरिद्वार जिले में मुख्य विकास अधिकारी (CDO) रह चुके हैं। प्रतीक ने जेएनयू से पब्लिक मैनेजमेंट में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है और कई प्रशासनिक परीक्षाएं पास कर चुके हैं। वह अपने व्यवहार, कार्यकुशलता और नवाचार के लिए जाने जाते हैं।

धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है रुद्रप्रयाग जिला

रुद्रप्रयाग जिले में विश्वप्रसिद्ध केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के अलावा तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मदमहेश्वर, और त्रियुगी नारायण जैसे पौराणिक मंदिर स्थित हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि इनकी देखरेख और तीर्थयात्रियों की सुविधा सीधे तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक की निगरानी में होती है।

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