देहरादून।
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों से पहले आरक्षण को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। फिलहाल माननीय उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा पंचायतों में आरक्षण प्रक्रिया पर अंतरिम आदेश (स्टे) लागू है, जिसका सरकार द्वारा पूरी गंभीरता से अनुपालन किया जा रहा है।

पंचायतीराज सचिव की ओर से जानकारी दी गई है कि आरक्षण नियमावली 2025 की अधिसूचना (गजट नोटिफिकेशन) की प्रक्रिया राजकीय प्रेस रुड़की में तेजी से जारी है। अधिसूचना की छपाई होते ही इसे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
संविधान व विधिक मर्यादाओं में बंधी सरकार
राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि वह न्यायालय की गरिमा और निर्देशों का सम्मान करते हुए, पंचायतीराज व्यवस्था को पूरी तरह संविधान और कानून के अनुरूप संचालित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह मामला वर्तमान में न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत है, इसलिए सरकार किसी प्रकार की जल्दबाज़ी करने से बच रही है। आरक्षण नियमावली का अंतिम प्रारूप तैयार हो चुका है और उसे औपचारिक रूप से अधिसूचित किया जाना शेष है।
क्या है मामला?
उत्तराखंड के पंचायत चुनावों में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षण का निर्धारण एक निश्चित नियमावली के तहत किया जाता है। आरक्षण का चक्रानुक्रम, पंचायत क्षेत्र की जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति के आधार पर तय होता है। इसी प्रक्रिया पर कुछ जनहित याचिकाओं के चलते माननीय उच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है।
कोर्ट से दिशा-निर्देश की प्रतीक्षा
सरकार ने बताया है कि गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित होते ही उसे न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया जाएगा ताकि उचित न्यायिक मार्गदर्शन प्राप्त हो सके और पंचायत चुनावों की प्रक्रिया को बिना विधिक अड़चन के संपन्न कराया जा सके।