भारत-पाक टेंशन के बीच एलन मस्क को मिली राहत, स्टारलिंक को मिली सैटकॉम मंजूरी: जानें 29 सख्त शर्तें

डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाने वाले एलन मस्क की कंपनी ‘स्टारलिंक’ को भारत सरकार से एक बड़ी राहत मिल गई है। भारत-पाक टेंशन के बीच भारत सरकार ने स्टारलिंक को देश में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की सशर्त मंजूरी दे दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दक्षिण एशिया में सुरक्षा को लेकर संवेदनशीलता चरम पर है।


क्या है स्टारलिंक और क्या करेगा भारत में?

स्टारलिंक, एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की एक ब्रॉडबैंड शाखा है, जो LEO (Low Earth Orbit) सैटेलाइट्स के माध्यम से इंटरनेट सेवा देती है। दुनिया भर में इसके करीब 7,000 सैटेलाइट पहले से सक्रिय हैं, और यह संख्या भविष्य में 40,000 तक पहुंचाई जाएगी। भारत में यह सेवा खासतौर से दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट क्रांति लाने का वादा करती है, जहां परंपरागत ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पहुंच नहीं पाता।


टेंशन के बीच मिली मंजूरी, क्यों था मामला संवेदनशील?

इस मंजूरी से पहले भारत सरकार ने स्टारलिंक से सुरक्षा से जुड़ी कई जानकारियां मांगी थीं। वजह साफ थी—स्टारलिंक की योजना पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में भी इंटरनेट सेवा देने की है।

हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार की चिंताएं और गहरी हो गई थीं। सरकार को आशंका थी कि कहीं सैटेलाइट नेटवर्क के जरिए सुरक्षा से संबंधित डाटा विदेशी हाथों में न चला जाए

हालांकि दूरसंचार विभाग (DoT) ने स्पष्ट किया है कि स्टारलिंक को मिली मंजूरी का पाकिस्तान से कोई सीधा संबंध नहीं है, और निर्णय पूरी तरह से नियमों और तकनीकी मूल्यांकन के आधार पर लिया गया है।


29 सख्त शर्तों के साथ मिली हरी झंडी

स्टारलिंक को भारत में इंटरनेट सेवा देने की अनुमति कुछ बेहद सख्त शर्तों के साथ दी गई है। इन शर्तों का मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा, डाटा सुरक्षा और डिजिटल संप्रभुता को बनाए रखना है।

यहां जानिए इन 29 शर्तों की प्रमुख बातें:

1. डाटा भारत में ही रहना अनिवार्य

  • कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी यूजर डाटा भारत में ही स्टोर और प्रोसेस हो।
  • विदेशी सर्वर या नेटवर्क टर्मिनलों से कनेक्टिविटी कड़ाई से प्रतिबंधित है।

2. इंटरसेप्शन और मॉनिटरिंग का सिस्टम

  • कंपनी को कानूनी एजेंसियों द्वारा डाटा इंटरसेप्ट करने और निगरानी करने की व्यवस्था देनी होगी।

3. लोकल डाटा सेंटर का इस्तेमाल

  • स्टारलिंक को भारत में डाटा सेंटर स्थापित करने या अधिकृत लोकल डाटा होस्टिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करना होगा।

4. लोकेशन ट्रैकिंग अनिवार्य

  • मोबाइल टर्मिनलों (यूजर टर्मिनल्स) को हर 2.6 किलोमीटर या हर 1 मिनट में अपनी लोकेशन रिपोर्ट करनी होगी।

5. भारत में बने ग्राउंड सेगमेंट की अनिवार्यता

  • सैटेलाइट ग्राउंड सेगमेंट का कम से कम 20% हिस्सा भारत में ही निर्मित होना चाहिए।
  • यह शर्त कंपनी को भारत में ऑपरेशन शुरू करने के कुछ सालों के अंदर पूरी करनी होगी।

क्यों है यह मंजूरी भारत के लिए बड़ी?

यह मंजूरी न केवल एलन मस्क के लिए राहत है, बल्कि भारत के डिजिटल भविष्य के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। खासतौर से:

  • दूर-दराज के गांवों और पहाड़ी क्षेत्रों में जहां इंटरनेट अभी भी सपना है, वहां स्टारलिंक बड़ा बदलाव ला सकता है।
  • डिजिटल इंडिया, ई-गवर्नेंस, और ऑनलाइन शिक्षा जैसे अभियानों को नया बल मिलेगा।
  • साथ ही, इस सेक्टर में विदेशी निवेश और मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।

क्या भारत सरकार का फैसला जोखिम भरा है?

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार ने जो सख्त शर्तें लगाई हैं, वे इस तरह के जोखिम को न्यूनतम करने के लिए पर्याप्त हैं।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ दीपक कपूर कहते हैं:

“स्टारलिंक जैसी टेक कंपनियों को भारत में अनुमति देना तभी सुरक्षित होता है जब सरकार डाटा संप्रभुता को लेकर पूरी सतर्कता बरते। भारत ने इस बार यही किया है।”


पाकिस्तान और बांग्लादेश में स्टारलिंक के प्लान्स पर नजर

माना जा रहा है कि एलन मस्क की कंपनी जल्द ही पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी इंटरनेट सेवा शुरू करने वाली है। ऐसे में भारत सरकार का कड़ा रुख जरूरी था। अब यह देखना होगा कि पड़ोसी देशों की सरकारें स्टारलिंक से डील करते समय कैसी शर्तें रखती हैं।


निष्कर्ष: नई शुरुआत, लेकिन सशर्त

एलन मस्क के लिए यह ‘मेड इन इंडिया लेकिन मेड फॉर द वर्ल्ड’ जैसा अवसर है। स्टारलिंक को मिली मंजूरी निश्चित ही भारत में डिजिटल युग की नई शुरुआत है, लेकिन यह शुरुआत संवेदनशील सुरक्षा परिवेश में हुई है, जहां हर कदम फूंक-फूंक कर रखने की जरूरत है।

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