Nainital News: नैनीताल दुष्कर्म कांड के आरोपी उस्मान को सजा दिलाने के लिए पुलिस तैनात करेगी स्पेशल केस ऑफिसर

नैनीताल में 12 वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के मामले में प्रशासन और पुलिस ने अब और सख्त रुख अपना लिया है। 73 वर्षीय ठेकेदार उस्मान के खिलाफ मामला दर्ज होने और गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस की अगली प्राथमिकता है — मजबूत चार्जशीट तैयार करना और कोर्ट में आरोपी को सख्त से सख्त सजा दिलवाना।

इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए आईजी कुमाऊं ने घोषणा की है कि इस केस के लिए एक स्पेशल केस ऑफिसर की नियुक्ति की जाएगी, ताकि जांच और अभियोजन प्रक्रिया में कोई भी कड़ी कमजोर न रहे।


पुलिस की सख्ती, लेकिन मामला रहा संवेदनशील

दुष्कर्म की यह वारदात केवल एक अपराध नहीं, बल्कि नैनीताल जैसे शांतिप्रिय शहर की सामाजिक संरचना को झकझोर देने वाला मामला बन गया है। पुलिस ने आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन फिर भी शहर में गुस्सा कम नहीं हुआ। लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किए, मल्लीताल क्षेत्र में कुछ दुकानों में तोड़फोड़ हुई, और सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बन गई थी।

ऐसे हालात में प्रशासन को बेहद संतुलित तरीके से स्थिति को संभालना पड़ा। अब जबकि शहर में शांति है, पुलिस अपनी पूरी ऊर्जा इस बात पर केंद्रित कर रही है कि पीड़िता को न्याय मिले और आरोपी को ऐसी सजा दी जाए जो समाज के लिए उदाहरण बन सके।


आईजी बोले – केस की एक भी कड़ी कमजोर नहीं होगी

आईजी कुमाऊं ने कहा है कि, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि केस में एक भी कड़ी कमजोर न रहे। इसीलिए एक स्पेशल केस ऑफिसर की तैनाती की जा रही है, जो सिर्फ इस मामले पर केंद्रित रहेगा और अभियोजन पक्ष को मजबूत बनाएगा।”

इस अधिकारी का काम होगा:

  • सभी गवाहों से समन्वय बनाए रखना
  • मेडिकल और फॉरेंसिक रिपोर्टों को विधिक भाषा में तैयार करवाना
  • बच्ची और परिवार को कोर्ट प्रक्रिया में सहयोग देना
  • आरोपी को दोषी साबित करने के लिए ठोस सबूत अदालत में पेश करना

बच्ची के इलाज और शुरुआती जांच भी केस का हिस्सा

शुरुआत में जब बच्ची अस्पताल में भर्ती की गई थी, तब उसके इलाज के दौरान जो भी मेडिकल जांच और चिकित्सकीय प्रक्रिया हुई, वह भी अब केस का अहम हिस्सा बनेगी। स्पेशल केस ऑफिसर इस दिशा में काम करेगा कि अस्पताल स्टाफ के बयान भी रिकॉर्ड में दर्ज हों और उन्हें कोर्ट में पेश किया जा सके।


चार्जशीट के लिए जुटे सबूत और गवाह

पुलिस ने घटनास्थल पर नजरी नक्शा तैयार कर लिया है। बच्ची को घटना स्थल ले जाकर पूरी स्थिति की पुनरावृत्ति कराई गई थी, जिससे केस को प्रमाणिकता मिले। इसके साथ ही आरोपी द्वारा इस्तेमाल किया गया वाहन भी जांच के घेरे में है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बच्ची को चाकू दिखाकर धमकाया गया था और फिर घटना को अंजाम देने के बाद ₹200 देकर चुप रहने के लिए कहा गया। पीड़िता ने यह बात मां और डॉक्टर के समक्ष कही थी, जिनके बयान भी दर्ज किए जा चुके हैं।


अधिवक्ता पैनल ने ली कमान, बार की मांग – जल्द चार्जशीट आए कोर्ट में

इस संवेदनशील मामले में जिला बार एसोसिएशन भी पूरी ताकत से सक्रिय हो गया है। अधिवक्ताओं ने छह सदस्यों का एक पैनल बनाया है, जो पीड़िता की नि:शुल्क पैरवी करेगा। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भगवत प्रसाद ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि आरोपी को सजा मिले और बच्ची को न्याय।”

सचिव दीपक रूवाली ने मुख्यमंत्री से नैनीताल में ही फास्ट ट्रैक कोर्ट की मांग की है ताकि ट्रायल में देरी न हो।


वकीलों की राय – समाज को दिया गया बड़ा घाव

जिला न्यायालय के अधिवक्ता हितेश पाठक ने कहा कि, “एक बुजुर्ग आदमी द्वारा 12 साल की बच्ची के साथ यह कृत्य केवल एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के नाम पर कलंक है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक सशक्त कानूनी उदाहरण स्थापित किया जाए।”

महिला अधिवक्ता शगुफ्ता ने कहा कि, “यह बच्ची अब अपनी पढ़ाई, सामाजिक जीवन और मानसिक विकास में हमेशा बाधित रहेगी। हमें उसे न्याय दिलाना ही होगा ताकि उसकी आत्मा को सुकून मिले।”


समुदाय ने लिया सख्त रुख, आरोपी का बहिष्कार

इस घटना के बाद अंजुमन इस्लामिया कमेटी ने आरोपी उस्मान का सार्वजनिक बहिष्कार किया है। अध्यक्ष शोएब अहमद ने कहा कि, “हम समाज के नाम पर इस कृत्य को बर्दाश्त नहीं करेंगे। आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। साथ ही शहर में बाहरी लोगों का सत्यापन भी जरूरी है।”


प्रशासन की अगली चुनौती – गवाहों को सुरक्षा और समर्थन

पुलिस और प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती अब यह है कि गवाहों, पीड़िता और उसके परिवार को किसी प्रकार की धमकी या दबाव से सुरक्षित रखा जाए। इसके लिए पुलिस अब हर गवाह से संवाद कर रही है और उन्हें भरोसा दिला रही है कि वे पूरी ताकत के साथ कोर्ट में खड़े रहें।

स्पेशल केस ऑफिसर की यह भी ज़िम्मेदारी होगी कि वह पीड़िता के परिवार को कानूनी प्रक्रिया समझाए और उन्हें पूरा सहयोग दे।


निष्कर्ष: न्याय के लिए समर्पण का उदाहरण बन रहा नैनीताल

नैनीताल दुष्कर्म कांड 2025 केवल एक आपराधिक केस नहीं, बल्कि समाज, पुलिस, वकील और प्रशासन की संयुक्त जवाबदेही का उदाहरण बन रहा है। जहां एक ओर कानून अपना काम कर रहा है, वहीं दूसरी ओर समाज भी सजग है और एक स्वर में कह रहा है — “पीड़िता को न्याय दो।”

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